Bihar Board 12th History Guess 2025 Exam Shorts Questions Part 2
11. महावीर के उपदेशों का वर्णन करें। [2014A,2017A]
उत्तर – महावीर की शिक्षायें बड़ी सरल तथा सादा है। यह कर्म, उच्च आदर्शों तथा आवागमन के सिद्धांतों पर आधारित है। इनमें अहिंसा, मोक्ष, तपस्या, त्रिरत्न पर विशेष बल दिया है। संक्षेप में इसके मुख्य सिद्धांत निम्नलिखित हैं-
(i) त्रिरत्न जैन धर्म में मनुष्य को तीन रत्नों के पालन पर जोर दिया गया है- (i) सम्यक विश्वास, (ii) सम्यक ज्ञान, (iii) सम्यक आचरण ।। मनुष्य को संचित कर्मो से छुटकारा पाने के लिए इन्हें तीन रत्नों का पालन करना चाहिए।
(ii) पांच महाव्रत- महावीर स्वामी ने गृहस्थों के जीवन को पवित्र बनाने के लिए पांच महाव्रत बताये हैं- (i) सत्य, (ii) अहिंसा, (iii)असत्येय, (iv) अपरिग्रह एवं (v) ब्रह्मचर्य।
(iii) कर्म तथा पुनर्जन्म सिद्धांत- जैन धर्म में कर्म तथा पुनर्जन्म सिद्धांत का बड़ा महत्त्व है। मनुष्य पूर्व जन्म के संचित कर्मों के अनुसार संसार में जन्म लेता है और एक के बाद दूसरे योनी में प्रवेश करता है। यह जन्म-मरण का चक्कर तब तक चलता रहता है जब तक सत्कर्म करके वह मोक्ष का अधिकारी नहीं बनता। अतः मनुष्य को सत्कर्म करके मोक्ष प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए।
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12. बौद्ध धर्म के अष्टांगिक मार्ग के चार नाम बताइए। [2019A,2021A]
उत्तर – गौतम बुद्ध ने लोगों को सांसारिक दुखों से मुक्ति के लिए निम्न अष्टांगिक मार्ग बताये।
(i)सम्यक दृष्टि
(ii) सम्यक संकल्प
(ii) सम्यक वाक्
(iv) सम्यक कर्मान्त
13. जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म में चार समानताओं को बताइए। [2022A,2023A]
उत्तर – बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म की चार समानताएँ निम्न हैं-
(1) दोनों निवृत्रिमार्गी यानी संसार त्याग पर जोर देते थे।
(ii दोनों में कर्मवाद एवं पुनर्जन्म पर जोर दिया गया।
(ii) ) दोनों धर्म अहिंसा एवं मानववाद पर जोर देते थे।
(iv) दोनों संस्कृत की जगह जनभाषा में धर्म का प्रचार प्रसार किया।
14. आइन-ए-अकबरी के विषय में आप क्या जानते हैं? [2018A,2022A]
उत्तर – 17वीं शताब्दी में भारत के भूमि-प्रबन्ध का अध्ययन करने के लिए, आईन-ए-अकबरी सबसे अधिक विश्वसनीय, आवश्यक एवं बहुमूल्य पुस्तक है। मूलरूप में यह अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल द्वारा लिखी गई, ‘अकबरनामा’ का तीसरा खण्ड है। वास्तव में अकबरनामा तकनीकी दृष्टि से एक इतिहास की पुस्तक है जबकि आईन-ए-अकबरी में उन नियमों का वर्णन है जो अकबर ने अपने प्रशासन को उचित ढंग से चलाने के लिए बनाए। आईन-ए-अकबरी में सरकार के विभागों तथा विभिन्न पदाधिकारियों के साथ ही साधारण लोगों की समस्याओं तथा उस समय के अकाल, विपदा आदि की भी जानकारी मिलती है। मुगल साम्राज्य का भौगोलिक सर्वेक्षण तथा सभी प्रान्तों में आँकड़ों पर आधारित विवरण आईन-ए-अकबरी से मिलती है।
15. अकबर के शासन काल में कर निर्धारण की क्या प्रणाली थी? [2020A]
उत्तर – आईन-ए-अकबरी के अनुसार अकबर के काल में कर निर्धारण की तीन प्रणालियाँ प्रचलित थी- (i) गल्ला बख्शी (ii) जब्ती (iii) नस्क। गल्ला-बख्शी भारत में भूमिकर निर्धारण की प्राचीन प्रणाली थी। इसे बटाई भी कहा जाता था। यह बटाई तीन प्रकार से होती थी (i) खेत बटाई (ii) लंक बटाई (iii) रास बटाई।
जब्ती का आशय किसान व सरकार के बीच उस समझौते से था जिसके अनुसार तीन वर्ष या उससे अधिक समय तक प्रति बीघा के हिसाब से लगान निश्चित किया जाता था।
नक्स – नक्स अथवा कनकूत प्रणाली के तहत जमीन की मोटे तौर पर पैदावार आँकी जाती थी। यह प्रणाली कृषकों के लिए अलाभकारी तथा झंझटपूर्ण थी।
16. अकबर के शासन में भूमि का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया था? [2020A,2021A]
उत्तर – अकबर ने उत्पादकता के आधार पर भूमि का वर्गीकरण किया। इसने पूर्व से चली आ रही भूमि पैमाइश की इकाई गज-ए-सिकंदरी की जगह गज-ए-इलाही की शुरुआत की। भूमि का वर्गीकरण, खालसा, पोलज, बंजर, ऊसर आदि इकाइयों में किया। इससे भू राजस्व के निर्धारण में आसानी होती थी।
17. मुगल दरबार में अभिवादन के कौन से तरीके थे? [2020A, 2021A,2022A]
अथवा, मुगल दरबार में प्रचलित अभिवादन के दो तरीकों का उल्लेख कीजिए। 2023A]
उत्तर – मुगल दरबार में अभिवादन के सिजदा तथा जमींबोस प्रणाली विकसित थी। इसमें सिजदा के रूप में दंडवत् होकर शासक के सामने लेटना होता था। जमींबोस के तहत शासक के सामने झुककर जमीन को चूमना होता था।
18. आयंगर व्यवस्था के विषय में आप क्या जानते हैं? [2019A,2021A]
उत्तर – आयंगर व्यवस्था विजयनगर साम्राज्य के ग्रामीण प्रशासन की व्यवस्था थी। प्रशासन की सबसे छोटी इकाई गाँव या उर होती थी। आयंगर व्यवस्था के तहत प्रत्येक उर या ग्राम को एक स्वतंत्र ईकाई के रूप में संगठित किया गया था। इस पर शासन के लिए बारह शासकीय व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता था। इन्हीं बारह शासकीय अधिकारियों के समूह को ‘आयंगर’ कहा जाता था। इस समूह को गाँवों से कर इकट्ठा करने, भूमि बेचने तथा छोटे-मोटे मामलों में न्याय करने का अधिकार था।
19. मीराबाई का संक्षिप्त परिचय दें। [2021A]
उत्तर – मीराबाई का जन्म 1498 ई० में पाली के कुड़की गाँव में दूदा जी के चौथे पुत्र रतन सिंह के घर हुआ था। ये बचपन से ही कृष्ण भक्त थी। इनका विवाह मेवाड़ के सिसोदिया राज परिवार में हुआ था। उदयपुर के राजा भोजराज इनके पति थे। पति की मृत्यु के बाद इन्होंने कृष्ण को अपना पतिस्वरूप मानकर संत बन गई। इन्होंने रैदास से दीक्षा ली थी। भक्ति संतों में सगुण भक्ति की महान संत थी।
20. खालसा पंथ की स्थापना किसने और कब की? [2022A]
उत्तर – खालसा पंथ की स्थापना सिख धर्म के दसवें एवं अंतिम गुरु गुरु गोविन्द सिंह ने 1699 ई० में वैशाखी के दिन आनंदपुर साहिब में की थी। इस दिन इन्होंने सर्वप्रथम पाँच प्यारों को अमृतपान करवा कर खालसा बनाया तथा उन पाँच प्यारों के हाथों से स्वयं भी अमृतपान किया। इसी के साथ सिख धर्म में गुरु का स्थान ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में स्थापित कर दिया गया।
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